Horror Saga—A lyrical ballad written from jail
₹250.00
Ehtesham Qutubuddin Siddiqui has been incarcerated since 2006 for “involvement” in the Mumbai Train blast case. On death row since 2015. He was first arrested in 2001 for being a member of SIM (Students’ Islamic Movement) while he was a third year student of chemical engineering in Raigadh. Later, he was released on bail on the condition that he should report at Kurla police station twice a day. As a result, he could not complete his education. He started a printing business and later established Shahadah, an Islamic book publishing house, in 2004 and got married in 2005. For the 11 July 2006 blasts, he was arrested on 24 July 2006.
Horror Saga—A lyrical ballad written from jail
₹250.00
Ehtesham Qutubuddin Siddiqui has been incarcerated since 2006 for “involvement” in the Mumbai Train blast case. On death row since 2015. He was first arrested in 2001 for being a member of SIM (Students’ Islamic Movement) while he was a third year student of chemical engineering in Raigadh. Later, he was released on bail on the condition that he should report at Kurla police station twice a day. As a result, he could not complete his education. He started a printing business and later established Shahadah, an Islamic book publishing house, in 2004 and got married in 2005. For the 11 July 2006 blasts, he was arrested on 24 July 2006.
Ishrat Jahan Encounter (Urdu) عشرت جہاں انکاؤنٹر
₹375.00
عبدالواحد شیخ ممبئی کے ایک اسکول میں استاد ہیں۔۱۱؍جولائی ۲۰۰۶ممبئی ٹرین بم دھماکوں کے کیس میں ماخوذ ۱۳؍ ملزمان میں سے وہ اکیلے بری ہو ئے ۔ نو سال جیل میں رہنے کے دوران انہوں نے اپنی پوسٹ گریجویشن اور قانون کی تعلیم مکمل کی اور ’’بے گناہ قیدی‘‘ (انگریزی ایڈیشن Innocent Prisoners) نام کی معروف کتاب بھی لکھی۔ ان کی براءت کے برسوں بعد بھی پولیس ان کو اب بھی ہراساں کرتی ہے۔ اس وقت وہ جیل ادب پر پی ایچ ڈی کر رہے ہیں اور ساتھ ہی قانونی مسائل پر ایک یوٹیوب چینل Acquit Undertrial کے نام سے چلاتے ہیں۔ ان کی کتاب ’’بےگناہ قیدی‘‘ پر مبنی ہندی فیچر فلم ’’ہیمولمف‘‘ (Haemolymph) مئی ۲۰۲۲ میں ریلیز ہوئی۔
Ishrat Jahan Encounter (Urdu) عشرت جہاں انکاؤنٹر
₹375.00
عبدالواحد شیخ ممبئی کے ایک اسکول میں استاد ہیں۔۱۱؍جولائی ۲۰۰۶ممبئی ٹرین بم دھماکوں کے کیس میں ماخوذ ۱۳؍ ملزمان میں سے وہ اکیلے بری ہو ئے ۔ نو سال جیل میں رہنے کے دوران انہوں نے اپنی پوسٹ گریجویشن اور قانون کی تعلیم مکمل کی اور ’’بے گناہ قیدی‘‘ (انگریزی ایڈیشن Innocent Prisoners) نام کی معروف کتاب بھی لکھی۔ ان کی براءت کے برسوں بعد بھی پولیس ان کو اب بھی ہراساں کرتی ہے۔ اس وقت وہ جیل ادب پر پی ایچ ڈی کر رہے ہیں اور ساتھ ہی قانونی مسائل پر ایک یوٹیوب چینل Acquit Undertrial کے نام سے چلاتے ہیں۔ ان کی کتاب ’’بےگناہ قیدی‘‘ پر مبنی ہندی فیچر فلم ’’ہیمولمف‘‘ (Haemolymph) مئی ۲۰۲۲ میں ریلیز ہوئی۔
ब्राह्मणवादियों के धमाके, मुसलमानों को फाँसी Brahmanvaadion ke dhamake, Musalmanon ko phaansi (Hindi)
₹375.00
ब्लास्ट कर के मुसलमानों पर दोष डालने का ब्राह्मणवादी खेल—-अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक ‘करकरे के हत्यारे कौन?’ और ‘26/11 की जांच—न्यायपालिका भी क्यों नाकाम रही?’ के लेखक, पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी एसएम मुशरिफ़ की यह एक और किताब है। इस किताब का विषय है देश भर में होनेवाले बम धमाकों के पीछे ब्राह्मणवादी छल-प्रपंच और बेगुनाह मुसलमानों पर दोष मढ़ना। अदालतों में दायर कई आरोपपत्रों और उनके द्वारा दिए गए कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों की शब्द-दर-शब्द जांच के बाद, और प्रासंगिक अवधियों की प्रेस कतरनों के एक विशाल संग्रह को देखने के बाद, लेखक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि 2002 के बाद से अधिकांश बम विस्फोटों में आरएसएस, अभिनव भारत, बजरंग दल, जय वंदे मातरम, सनातन संस्था आदि जैसे ब्राह्मणवादी संगठनों का हाथ था। लेकिन आईबी, एनआईए और राज्यों में आतंकवाद निरोधक दस्तों ने, ब्राह्मणवादी तत्वों के सक्रिय समर्थन और मीडिया द्वारा ब्राह्मणवादियों की ओर इशारा करनेवाले महत्वपूर्ण सुराग़ों को जान-बूझकर दबाने के लिए बेगुनाह मुसलमानों पर आरोप लगाया। यहां तक कि कुछ अदालतें भीं प्रभावित हुईं। कुछ अदालतें मीडिया के प्रचार से प्रभावित थीं तो कुछ अभियोजन पक्ष द्वारा गुमराह। लेखक ने सुझाव दिया है कि यदि ऐसे सभी मामलों का पुनरावलोकन कुछ वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों द्वारा किया जाए और उनमें से संदिग्ध लोगों की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी द्वारा पुन: जांच की जाए, तो यह पता चलेगा कि इन सभी घटनाओं में ब्राह्मणवादी संलिप्त हैं, उन घटनाओं में भी, जिनमें मुसलमानों को दोषी ठहराया जा चुका है और सज़ा सुनाई जा चुकी है।
ब्राह्मणवादियों के धमाके, मुसलमानों को फाँसी Brahmanvaadion ke dhamake, Musalmanon ko phaansi (Hindi)
₹375.00
ब्लास्ट कर के मुसलमानों पर दोष डालने का ब्राह्मणवादी खेल—-अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक ‘करकरे के हत्यारे कौन?’ और ‘26/11 की जांच—न्यायपालिका भी क्यों नाकाम रही?’ के लेखक, पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी एसएम मुशरिफ़ की यह एक और किताब है। इस किताब का विषय है देश भर में होनेवाले बम धमाकों के पीछे ब्राह्मणवादी छल-प्रपंच और बेगुनाह मुसलमानों पर दोष मढ़ना। अदालतों में दायर कई आरोपपत्रों और उनके द्वारा दिए गए कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों की शब्द-दर-शब्द जांच के बाद, और प्रासंगिक अवधियों की प्रेस कतरनों के एक विशाल संग्रह को देखने के बाद, लेखक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि 2002 के बाद से अधिकांश बम विस्फोटों में आरएसएस, अभिनव भारत, बजरंग दल, जय वंदे मातरम, सनातन संस्था आदि जैसे ब्राह्मणवादी संगठनों का हाथ था। लेकिन आईबी, एनआईए और राज्यों में आतंकवाद निरोधक दस्तों ने, ब्राह्मणवादी तत्वों के सक्रिय समर्थन और मीडिया द्वारा ब्राह्मणवादियों की ओर इशारा करनेवाले महत्वपूर्ण सुराग़ों को जान-बूझकर दबाने के लिए बेगुनाह मुसलमानों पर आरोप लगाया। यहां तक कि कुछ अदालतें भीं प्रभावित हुईं। कुछ अदालतें मीडिया के प्रचार से प्रभावित थीं तो कुछ अभियोजन पक्ष द्वारा गुमराह। लेखक ने सुझाव दिया है कि यदि ऐसे सभी मामलों का पुनरावलोकन कुछ वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों द्वारा किया जाए और उनमें से संदिग्ध लोगों की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी द्वारा पुन: जांच की जाए, तो यह पता चलेगा कि इन सभी घटनाओं में ब्राह्मणवादी संलिप्त हैं, उन घटनाओं में भी, जिनमें मुसलमानों को दोषी ठहराया जा चुका है और सज़ा सुनाई जा चुकी है।